Monday, June 22, 2015

Music Remedy...

आजकल संगीत द्वारा बहुत सी बीमारियों का इलाज किया जाने लगा हैं | चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं कि प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से रोज़मर्रा की होने वाली बहुत सी बीमारियो से निजात पायी जा सकती हैं | जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं उसी प्रकार संगीत के हर सुर व राग का संबंध किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं | यदि किसी जातक को किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग,सुर अथवा गीत सुनाये जायें तो जातक विशेष जल्दी ही स्वस्थ हो जाता हैं | यहाँ इसी विषय को आधार बनाकर ऐसे बहुत से रोगो व उनसे राहत देने वाले रागों के विषय मे जानकारी देने का प्रयास किया गया है | जिन शास्त्रीय रागों का उल्लेख किया किया गया है उन रागो मे कोई भी गीत,संगीत,भजन या वाद्य यंत्र बजा कर लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं | यहाँ  उनसे संबन्धित फिल्मी गीतो के उदाहरण देने का प्रयास भी किया गया है |

1)हृदय रोग –इस रोग मे राग दरबारी व राग सारंग से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक है | इनसे संबन्धित फिल्मी गीत निम्न हैं- तोरा मन दर्पण कहलाए (काजल), राधिके तूने बंसरी चुराई (बेटी बेटे ), झनक झनक तोरी बाजे पायलिया ( मेरे हुज़ूर ), बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम (साजन), जादूगर सइयां छोड़ मोरी (फाल्गुन), ओ दुनिया के रखवाले (बैजू बावरा ), मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये (मुगले आजम )

2)अनिद्रा –यह रोग हमारे जीवन मे होने वाले सबसे साधारण रोगों में से एक है | इस रोग के होने पर राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता है, जिनके प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं 1)रात भर उनकी याद आती रही(गमन), 2)नाचे मन मोरा (कोहिनूर), 3)मीठे बोल बोले बोले पायलिया(सितारा), 4)तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा), 5)ऋतु बसंत आई पवन(झनक झनक पायल बाजे), 6)सावरे सावरे(अंनुराधा), 7)चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम), छम छम बजे रे पायलिया (घूँघट ), झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन ), कुहूु कुहू बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )

3)एसिडिटी –इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं 1)ओ रब्बा कोई तो बताए प्यार (संगीत), 2)आयो कहाँ से घनश्याम(बुड्ढा मिल गया), 3)छूकर मेरे मन को (याराना), 4)कैसे बीते दिन कैसे बीती रतिया (ठुमरी-अनुराधा), 5)तकदीर का फसाना गाकर किसे सुनाये ( सेहरा ), रहते थे कभी जिनके दिल मे (ममता ), हमने तुमसे प्यार किया हैं इतना (दूल्हा दुल्हन ), तुम कमसिन हो नादां हो (आई मिलन की बेला)

4)कमजोरी –यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित है | इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने मे खुद को असमर्थ महसूस करता है | इस रोग के होने पर राग जय जयवंती सुनना या गाना लाभदायक होता है | इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं मनमोहना बड़े झूठे(सीमा), 2)बैरन नींद ना आए (चाचा ज़िंदाबाद), 3)मोहब्बत की राहों मे चलना संभलके (उड़न खटोला ), 4)साज हो तुम आवाज़ हूँ मैं (चन्द्रगुप्त ), 5)ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती हैं (दिल दिया दर्द लिया ), तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस साल बाद )

5)याददाश्त –जिन लोगों की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो, उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से बहुत लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं, ना किसी की आँख का नूर हूँ(लालकिला), 2)मेरे नैना(महबूबा), 3)दिल के झरोखे मे तुझको(ब्रह्मचारी), 4)ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम(संगम ), 5)जीता था जिसके (दिलवाले), 6)जाने कहाँ गए वो दिन(मेरा नाम जोकर )

6)खून की कमी –इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का चेहरा निस्तेज व सूखा सा रहता है | स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन होता है | ऐसे में राग पीलू से संबन्धित गीत सुनने से लाभ पाया जा सकता हैं | 1)आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते जख्म), 2)नदिया किनारे (अभिमान), 3)खाली हाथ शाम आई है (इजाजत), 4)तेरे बिन सूने नयन हमारे (लता रफी), 5)मैंने रंग ली आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की), 6)मोरे सैयाजी उतरेंगे पार(उड़न खटोला),

7)मनोरोग अथवा डिप्रेसन –इस रोग मे राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता है | इन रागों के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं | 1)तुझे देने को मेरे पास कुछ नहीं(कुदरत नई), 2)तेरे प्यार मे दिलदार(मेरे महबूब), 3)पिया बावरी(खूबसूरत पुरानी), 4)दिल जो ना कह सका (भीगी रात), तुम तो प्यार हो(सेहरा), मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई ), मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये(आम्रपाली), सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले (चित्रलेखा)

8)रक्तचाप-ऊंचे रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता है | शास्त्रीय रागों मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता है | ऊंचे रक्तचाप मे “चल उडजा रे पंछी कि अब ये देश (भाभी), ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ ), चलो दिलदार चलो (पाकीजा ), नीले गगन के तले (हमराज़) जैसे गीत व निम्न रक्तचाप मे “ओ नींद ना मुझको आए (पोस्ट बॉक्स न॰ 909), बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना (जिस देश मे गंगा बहती हैं ), जहां डाल डाल पर ( सिकंदरे आजम ), पंख होते तो उड़  आती रे (सेहरा ) |

[9)अस्थमा –इस रोग मे आस्था–भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है | राग मालकोस व राग ललित से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं | जिनमें प्रमुख गीत निम्न हैं तू छुपी हैं कहाँ (नवरंग), तू है मेरा प्रेम देवता(कल्पना), एक शहँशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल (लीडर), मन तड़पत हरी दर्शन को आज (बैजू बावरा ), आधा है चंद्रमा ( नवरंग )

10)सिरदर्द –इस रोग के होने पर राग भैरव सुनना लाभदायक होता है | इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं - मोहे भूल गए सावरियाँ (बैजू बावरा), राम तेरी गंगा मैली (शीर्षक), पूंछों ना कैसे मैंने रैन बिताई(तेरी सूरत मेरी आँखें), सोलह बरस की बाली उमर को सलाम (एक दूजे के लिए )

Wednesday, June 17, 2015

First World Yoga Day

21 June 2015
Time period- 33 min.

Part 1 (2 min)

श्लोक

"संगच्छध्वम संवद्यध्वम, संवो मनासी जानताम् ।
देवाभागम् यथा पूर्वे, संजानाना उपासते ।।"

Part 2 (3 min)

Warming up
(For relextion)

Neck rotation
Shoulder rotation
Hip rotation
Knee rotation
etc...

Part 3 (15 min)

A) Yogasan in standing position

1) Tadasan ताड़ासन
2) Vrukshasan वृक्षासन
3) Pad Hastsan पादहस्तासन
4) Ardhchakrasan अर्धचक्रासन
5) Trikonasan त्रिकोणासन

B) Yogasan in seating position

1) Bhadrasan भद्रासन
2) Shashankasan शशांकासन
3) Ardh ushtrasan अर्धउष्ट्रासन
4) Vkrasan वक्रासन

C) Yogasan in sleeping position (on stomach)

1) Bhujangasan भुजंगासन
2) Shalbhasan शलभासन
3) Makrasan मकरासन

D) Yogasan in sleeping position

1) Setu bandh sarvangasan सेतुबंध सर्वांगसन
2) Pawan muktasan पवन मुक्तासन
3) Shwasan शवासन

Part 4 (2 min)

Kapalbhati कपालभाति
(10-12 strocks in 3 round)

Part 5 (5 min)

Pranayaam प्राणायाम
1) Nadishodhan नाडीशोधन (5 round)
2) bhramari Pranayaam भ्रामरी प्राणायाम (5 round)

Part 6 (6 min)

Seat in any kind of Dhyan mudra

(शांभवी मुद्रा, आँखे बंद और हातों की ज्ञान मुद्रा ।)

At the time of Meditation play melodies background music.

Lastly take Sankalp
संकल्प

" हमें हमारे मन को हमेशा संतुलित रखना है। इसीमेही हमारा आत्मविकास समाया हुआ है। विश्व की ऐक्यता के लिये, स्वास्थ के लिये और शांतता के वृद्धि के लिये, विश्व के प्रति, समाज के प्रति, मेरे काम के प्रति, मेरे परिवार के प्रति और मेरे खुद के प्रति जो कर्तव्य है मैं उन्हें पूरा करने का निश्चय करता हूँ। "

Wednesday, June 10, 2015

*** ॐ के 11 शारीरिक लाभ ***

ॐ , ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
अ उ म् ।
"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,

"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,

"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना।

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।

ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

जानीए

ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक
और
अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...

1. ॐ और थायराॅयडः-
ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

2. ॐ और घबराहटः-
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

3. ॐ और तनावः-
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

4. ॐ और खून का प्रवाहः-
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

5. ॐ और पाचनः-
ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

6. ॐ लाए स्फूर्तिः-
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

7. ॐ और थकान:-
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

8. ॐ और नींदः-
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।

9. ॐ और फेफड़े:-
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

10. ॐ और रीढ़ की हड्डी:-
ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।

11. ॐ दूर करे तनावः-
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण  करेंगे।

Monday, June 1, 2015

*** नियोजनबद्ध आहार ***

नियोजनबद्ध आहार कोणता?

आपला भारतीय संस्कृतीतील आहार योग्य आहे. भाजी, पोळी, भात, आमटी, पोहे, उपमा हे पदार्थ अतिशय पौष्टिक आहेत. आपण आपला आहार सोडून अन्य पदार्थांचे पर्याय शोधतो. म्हणून खाद्यसंस्कृती बदलते आहे. आपले वेगळेपण आपणच जपले पाहिजे. आपल्या चौरस आहाराची किंमत आपल्यालाच समजत नाही, याची खंत आहे.

वाढलेली चरबी कशी कमी करावी?

आपल्या खाण्या-पिण्याला शिस्त असेल, तर चरबी वाढणार नाही. वाढली तरी कमी होण्यासही मदत होईल. सलग ३० मिनिटे एका जागेवर बसू नका. आपण शरीराचा पुरेसा वापर करीत नाही म्हणून चरबी वाढते. दरवर्षी अर्ध्या किंवा एक किलोने वजन वाढते. वजन वाढते, याचा अर्थ आपण आळशी होत आहोत, हे समजून घ्या. म्हणून गरज आहे ती `मूव्ह मोअर अँड सिट लेस` या मंत्राची.

कोणती फळे खावीत?

आंबा, केळे, सीताफळ, चिकू आणि द्राक्ष ही फळे प्रत्येक भारतीयाच्या आहारात आवर्जून आलीच पाहिजेत. आरोग्यासाठी केळे हे सर्वोत्तम असल्याचा दुजोरा आता जगभरातून मिळत आहे. बाळाच्या आहारातही आईच्या दुधानंतर फळांमध्ये केळ्याचाच समावेश होतो.

मधुमेहासाठी आहार कसा असावा?

खरं तर मधुमेहींनी जे पदार्थ खाल्ले पाहिजेत, तेच पदार्थ डॉक्टर टाळण्यास सांगतात. मात्र, भात, केळं आणि तुपाचा समावेश आहारात अवश्य असावा. दोन जेवणांमध्ये फार अंतर ठेऊ नये, व्यायाम भरपूर करावा आणि अगदी झोपेपर्यंत टीव्ही पाहणे टाळावे.

शुगर-फ्रीचा वापर करावा का?

शुगर फ्री आहारातून वर्ज्यच करा. आहारात जेवढी साखर आवश्यक असते, तेवढी खावी. लाडू, हलवा यासारख्या घरी बनणाऱ्या गोड पदार्थांत वापरली जाणारी साखर आरोग्यासाठी चांगली असते. ऊस आणि गूळ यांना एकमेकांशी रिप्लेस करू नये. आवश्यकतेनुसार पदार्थात साखर किंवा गुळाचा वापर करावा. शरीरातील उष्णता वाढवायला गुळाची मदत होते.

वाढतं वजन आणि ताण यांचा संबंध कसा आहे?

वाढत्या ताणामुळे वजन वाढतं. फर्गेट, फर्गिव्ह आणि फॉर्वर्ड या सूत्रानुसार जीवन जगायला सुरवात केल्यास आयुष्यातील तणाव कमी होतील.

कडधान्य कशी खावीत..

आपण उसळ करताना कडधान्य शिजवून घेतो. त्यामुळे मोड आलेली कडधान्ये कच्ची कशासाठी खायची? ती उकडून, उसळ करून खाणेच योग्य.

जेवणात कोणते तेल आणि किती वापरावे?

शेंगदाण्याचे घाण्यावरून करून आणलेले तेल स्वयंपाकासाठी सर्वोत्तम आहे. शंभर ग्रॅम शेंगदाण्याचे २५ ते ३० टक्के तेल निघते. बाकी चोथा वाया जातो. तेल बनविण्याची पारंपरिक पद्धत अतिशय शुद्ध आहे. आहारात तेल बदलण्याची गरज नसते. पिशव्या किंवा डब्यांमध्ये मिळणारे आणि हृदयाच्या आकाराचे चित्र डब्यांवर दिसणारे तेल आरोग्याला योग्य नाही. तेल जेवढे वापरावेसे वाटते, तेवढे वापरावे. लोणचे, तळलेला पापड, भजी हे पदार्थ आहारात आलेच पाहिजेत. जास्त तेल पोटात जाईल, म्हणून ते खाणे टाळू नये.

आहारातून ड जीवनसत्त्व कमी झाल्यास काय होते?

शरीरात हवे असलेले फॅट मिळत नाहीत, म्हणून ड जीवनसत्व कमी होते. वेळेवर त्यावर उपाय न केल्यास हाडे दुखतात, केस गळतात, त्वचेवर डाग पडतात. मधुमेह किंवा कॅन्सर होण्यापर्यंत ही पातळी जाऊ शकते.

आजकाल बिझी रुटीनमुळे व्यायाम करणे अनेकांना शक्य होत नाही. व्यायामाला दुसरा काही पर्याय आहे का?

आजच्या युगात आपण नवीन गाडी घेतली, तरीसुद्धा ती नियमितपणे चालवतो. बाहेरगावी गेलो, तरी शेजारी किंवा नातेवाईकांना गाडी सुरू ठेवायला सांगतो. व्यायामाचेसुद्धा तसेच आहे. व्यायामाला कोणताही पर्याय नाही, तो नियमितपणे केलाच पाहिजे. अंग दुखतं, म्हणून व्यायाम करत नाही, अशी सबब अनेक जण देतात. पण खरे तर व्यायाम करत नाही, म्हणून अंग दुखतं. व्यायाम करण्यासाठी आठवड्यात फक्त १५० मिनिटे लागतात. आठवड्याच्या व्यायामाचे नीट प्लानिंग करून ते वेळापत्रक पाळले जायला हवे. व्यायाम अनेकदा उद्यावर ढकलला जातो, त्याचं योग्य नियोजन होत नाही, त्याचं गांभीर्य लोकांच्या लक्षात येत नाही.

✌दोन- दोन तासाने खा, असे सांगितले जाते. हे योग्य की अयोग्य?

सकाळी उठल्या उठल्या आपण चहाने सुरुवात केली, तर दिवसभराची भूक मरते आणि दिवसभराचे रुटीन बिघडते. दोन- दोन तासाने खावे. सकाळी उठून एखादं केळ खाल्लं की, आपण नंतर नीट नाश्ता करू शकतो. सकाळी नाश्त्याला डोसा, घावन, थालीपीठ असं खावं. त्यानंतर जेवणाआधी पन्हं, कोकम सरबत यासारखं पेय घेऊन त्यानंतर आपण नियमित जेवण घेऊ शकतो. त्यानंतर मध्ये एखाद- दुसरं फळ, संध्याकाळी चार ते सहाच्या मध्ये पुन्हा सकाळच्या नाश्त्याप्रमाणे आहार घेतला की, आपल्याला रात्री फार भूक लागत नाही. मग रात्री पेज किंवा भात खावा, म्हणजे आपल्याला शांत झोप लागू शकते.

घरी केलेले चिवडा, लाडू खाण्याची योग्य वेळ कोणती?

चिवडा आणि लाडू आपण कधीही खाण्यासाठीच तयार करून ठेवतो. चिवड्यासारखी व्हर्सेटाइल गोष्ट कोणतीच नाही. चिवडा कशातही मिक्स करून खाऊ शकतो, त्यामुळे चिवडा कोणत्याही वेळी खाता येईल. लाडूसुद्धा संध्याकाळी ५-६च्या आसपास किंवा सकाळी नाश्त्यालासुद्धा लाडू चांगला.

वाढत्या वयाबरोबर कसा व्यायाम करावा ?

वयानुसार आपलं शरीर बदलतं, पण ते बिघडू देऊ नये. आपलं रुटीन नियमित फॉलो केलं पाहिजे. आठवड्याला १५० मिनिटे व्यायाम केला, तर ते कोणत्याही वयाला चालतं. वय वाढलं म्हणून व्यायाम कमी करण्याची गरज नाही.

सकाळी उठून गरम पाणी प्यायल्याने चरबी कमी होते, असा समज आहे. यात किती तथ्य आहे?

सकाळी उठल्यावर आवड म्हणून गरम पाणी पिण्यास काहीच हरकत नाही. पण त्यामुळे चरबी अजिबात कमी होत नाही. सकाळी उठल्यावर साधं, माठाचं किंवा गरम कोणतेही पाणी आपण पिऊ शकतो.

साखरेऐवजी गूळ वापरल्याने फायदा होतो का ?

प्रत्येक गोष्टीचा एक विशिष्ट गुणधर्म असतो. त्यामुळे ज्या गोष्टीत साखर वापरण्याची गरज आहे, त्यात साखर वापरली पाहिजे आणि ज्या गोष्टीत गूळ वापरण्याची गरज आहे, त्यात गूळच वापरला पाहिजे. अन्यथा पदार्थाची चव बिघडते. साखर ही चांगलीच आहे. उगाच साखरेच नाव वाईट आहे. साखरेने उष्णता कमी होते, तर गुळाने उष्णता वाढते. त्यामुळे आपण पदार्थानुसार साखर किंवा गूळ वापरावा.

तुमच्या कामाची सुरुवात कशी झाली?

मी काम साधारण १९९९ मध्ये काम सुरु केलं. त्यावेळी सामान्य माणसे फिटनेस तज्ज्ञांकडे वळत नसत. त्यावेळी लाली धवन आणि फराह यांना मी सर्वप्रथम मार्गदर्शन केलं. त्यानंतर २००३ सालापासून आपल्या अर्थव्यवस्थेत बदल झाला. अनेक लोक या शाखेकडे वळू लागले आणि मग माझं या क्षेत्रातलं नियमित काम सुरू झालं.

केस, त्वचेसाठी काय सल्ला द्याल?

केस गळण्यापासून वाचण्यासाठी तसेच तजेलदार त्वचेसाठी आहारात भात, नारळ, तूप यांचा समावेश हवा. आहारामध्ये हळदीचा समावेश असण्याची गरज आहे. हळद केसांच्या वाढीसाठी फायदेशीर आहे.

आपला दिवस कसा असतो?

मी ज्या शहरात असेन, त्यानुसार दिवस प्लॅन करते. ऋतूमानानुसार आणि स्थानिक पदार्थांना आहारात प्राधान्य देतेत. रोज सकाळी पोहे खाते. सध्या उन्हाळ्यामुळे कोकम आणि पन्हं घेते. जे आवडतं, तेच पदार्थ खाते. जे पदार्थ शरीराला लागतात, ते आवर्जून खाते. कारण, आपण जे खातो, तेच आपल्या चेहऱ्यावर दिसते.

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महिलांचे नोकरी करण्याचे प्रमाण वाढले आहे. त्यामुळे घरात पतीने मदत केली, तरच कुटुंबाचे आरोग्य उत्तम राखण्यास पत्नीला मदत होऊ शकते. नोकरी करून पुन्हा घरातील कामांचा डोंगर सांभाळताना महिलांची कसरत होते. त्यामुळे स्वयंपाकातील लहान कामांमध्ये मदत केल्यास कमी वेळात उत्तम स्वयंपाक तयार होण्यास निश्चित मदत होईल.

✌दर दोन तासांनी खा

फळ किंवा सुका मेव्याने दिवसाची सुरुवात करा

नाश्त्याला पोहे, उपमा, शिरा खा

जेवणापर्यंतच्या वेळेत सरबत घ्या

जेवणानंतर एखादे फळ खा

संध्याकाळी गूळ, तूप, पोळी किंवा फोडणीचा भात

रात्री ८.३० च्या दरम्यान हलका आहार घ्या

हलका आहार घेतल्याने झोप चांगली लागते आणि दुसऱ्या दिवशी व्यायाम करण्यास उत्साह राहतो.